🔹 श्रावक धर्म का दिव्य संहिता
🔹 सदाचार, संयम और आत्मशुद्धि का पथ
🔹 जैन श्रावकों के कर्तव्यों और व्रतों का गहन मार्गदर्शन
रत्नकरंड श्रावकाचार जी आचार्य समंतभद्र द्वारा रचित एक अत्यंत महत्वपूर्ण जैन ग्रंथ है, जो श्रावकों के लिए धर्म, आचरण और आध्यात्मिक उन्नति का श्रेष्ठ मार्गदर्शन प्रदान करता है। यह ग्रंथ न केवल श्रावकों के कर्तव्यों और व्रतों का वर्णन करता है, बल्कि उनके आदर्श जीवनशैली को भी परिभाषित करता है।
🌿 इस ग्रंथ की प्रमुख शिक्षाएँ:
✅ पाँच महाव्रतों (अहिंसा, सत्य, अचौर्य, ब्रह्मचर्य, अपरिग्रह) का अनुपालन
✅ गृहस्थ जीवन में संयम और साधना का महत्व
✅ श्रावक के बारह व्रतों का विस्तृत वर्णन
✅ दैनिक पूजन, व्रत, तप एवं त्याग का मार्गदर्शन
✅ अध्यात्म और मोक्षमार्ग की ओर अग्रसर होने के सूत्र
🕉 "श्रावक वही, जो संयम-साधना में रत रहे!"
🙏 इस कोर्स के माध्यम से आप रत्नकरंड श्रावकाचार जी के गूढ़ रहस्यों को समझकर अपने जीवन में इन्हें आत्मसात कर सकते हैं। यह न केवल आपकी आत्मा को शुद्ध करेगा, बल्कि आपको मोक्ष मार्ग की ओर भी अग्रसर करेगा।
📅 अवधि: [यहाँ कोर्स की अवधि डालें]
📍 पाठ्यक्रम माध्यम: ऑनलाइन / ऑफलाइन
🎯 उपयुक्त: जैन अनुयायी, साधक, एवं आध्यात्मिक जीवन में रुचि रखने वाले सभी लोग
✨ धर्म की राह पर चलें और अपने जीवन को पावन बनाएं! ✨
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